होटल व्यवसाय में अव्वल राऊतवाड़ा साकार करने वाले सागर राऊत
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सही निर्णय, क्वालिटी के जोर पे किया नाम रोशन
सागरजी राऊत इंदापुर तालुके के सावतामाली के रहने वाले है। ८वी कक्षा तक वही शिक्षा लेकर पिताजी ने १०वी कक्षा तक पढ़ने के लिए अहमदनगर के नेवासे में मिल्ट्री स्कूल में दाखिला करवा दिया। पिताजी ने इस उम्मीद में भेजा था की ये आर्मी में भरती हो जाएंगे। सागरजी ने २ साल तक वहां ट्रेनिंग और स्कूल किया। लेकिन उनका मन वहां नहीं लगा। गांव के सारे दोस्तों की यादें दिमाग में घूमती रहती थी। उनका गांव जानेका मन करता था। उन्होंने वहां २-३ बार भागने का भी मन बना लिया। खुद भागने से पहले उन्होंने प्लान अन्य दो लोगों पे आजमाया ताकि देख सके की प्लान कामयाब होता है या नहीं। और वह कामयाब हुआ। सागरजी वहां से स्कूल छोड़ के फिर से अपने गांव वापस आ गए। गांव आने के बाद १२वी कक्षा के लिए दाखिला ले लिया। तबतक सागरजी की पढ़ाई में से रुचि निकल गई थी। ये सब देखते हुए सागरजी के पिताजी ने उन्हे खेती में मदद करने के लिए कहा।
व्यवसाय की यात्रा :
१२वी की पढ़ाई पूरी करने के बाद सागरजी ने खेती की तरफ अपनी रुचि को बढ़ावा दिया। खेती के अनार, केला, गन्ने की खेती करना शुरू किया। लेकिन सभी लोग जानते है की खेती में ज्यादा मुनाफा नहीं होता और मेहनत ज्यादा करनी पड़ती है। इसलिए सागरजी ने अपने पिताजी से, खेती से ही जुड़ा कोई और व्यवसाय शुरू करने के लिए कहा। ताकि खेती और साइड बिजनेस होने की वजह से उन्हें लाभ हो सके। कौनसा व्यवसाय शुरू करे, ये उनके समझ में नहीं आ रहा था। फिर उनके बुवा के लड़के मयूर शिंदे, जो एक कुशल बागवान विशेषज्ञ है, उनसे चर्चा करने के बाद पोल्ट्री फार्म का व्यवसाय करने का विचार आया। भाई अक्षय राऊत और पिता को सम्मति के बाद, साल २०२० में पोल्ट्री फार्म के डॉक्टर की उचित सलाह लेकर 35×300 का शेड बनाकर उसमें 5000 पक्षियों को लेकर पोल्ट्री फार्म शुरू किया। वो धंधा अच्छा चलने लगा। डेढ़ महीने में ५० – ६००० हजार मिलने लगे। अभी भी पोल्ट्री फार्म व्यवसाय अच्छा चल रहा है। पहले सागरजी और अक्षयजी , दोनो पोल्ट्री फार्म देखते थे। धीरे धीरे सागरजी को बिजनेस में दिलचस्पी होने लगी। एक दिन किसी काम से पुणे गए थे। एक होटल में डिनर करने के लिए रुके और अचानक उनके दिमाग में एक विचार आया और वे होटल बिजनेस में आ गए। सागरजी को खाना बनाना आता था। घर आने के बाद उन्होंने अपने भाई और पिताजी से बात की । उनकी पैतृक भूमि पुणे सोलापुर महामार्ग के पास थी। २०२२ में ५ गूंथे की जमीन पर होटल का निर्माण शुरू किया और तीन महीनों में काम पूरा हो गया। होटल के उद्घाटन सोलापुर जिले के पूर्व संरक्षकमंत्री और इंदापुर के विधायक मा. दत्तात्रेय मामा भारने द्वारा किया गया था।
किस प्रकार की सेवाएं प्रदान करते है :
लोगों को होटल की डिजाइन , होटल की सेवा और सबसे महत्वपूर्ण ,भोजन की गुणवत्ता पसंद आई। होटल में वेज और नॉन वेज दोनो बनता है। सारे मसाले सागरजी घर में ही बनाते है। नॉन वेज खुद सागरजी और उनके भाई बनाते है। इंदापुर में राऊतवाडा नंबर १ की होटल है।
व्यवसाय में सहायता :
होटल में वर्तमान में २० लोगो का स्टाफ है। और होटल की एक खास बात यह है की होटल महा एकादशी और संकष्टी चतुर्थी के दिन बंद रहती है। क्यों की सागरजी ये मानते है की इन सारे व्यवसाय में सफलता का कारण महादेव और श्री गणेश है।
भविष्य का प्लान :
भविष्य में सागरजी अपने होटल की और शाखाओं का विस्तार करने की कोशिश कर रहे है ताकि लोग उसका आनंद उठा सके।
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