Amjad Ali Khan Birthday: उस्ताद अमजद को बचपन से मिली संगीत की घुट्टी, 12 साल की उम्र में प्रस्तुति देकर उड़ा दिए थे हर किसी के होश।
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Amjad Ali Khan: संगीत उन्हें विरासत में मिला, जिसका नतीजा पूरी दुनिया ने बखूबी देखा , बात हो रही है मशहूर सरोद वादक अमजद अली खान की, जिनका आज बर्थडे है।
Amjad Ali Khan Unknown Facts: 9 अक्टूबर 1945 के दिन मध्य प्रदेश के ग्वालियर में जन्मे अमजद अली खान संगीत के सेनिया बंगश घराने से ताल्लुक रखते हैं , वहीं, उनके पिता उस्ताद हाफिज अली खान ग्वालियर राज दरबार में प्रतिष्ठित संगीतज्ञ थे , ऐसे में अमजद अली खान को संगीत का माहौल बचपन से मिला. बर्थडे स्पेशल में हम आपको अमजद अली खान की जिंदगी के चंद पन्नों से रूबरू करा रहे हैं।
पांच साल की उम्र में सीखने लगे थे सरोद
घर में संगीत का माहौल होने का फायदा अमजद अली खान को भी मिला , ऐसे में वह उस वक्त ही संगीत की शिक्षा लेने लगे, जब उनकी उम्र महज पांच साल थी , वहीं, जब वह 10 साल के हुए, उस दौरान उन्होंने यूगोस्लाविया के राष्ट्रपति मार्शल टीटो और भारतीय राष्ट्रपति राजेंद्र प्रसाद के ग्वालियर आगमन पर उनके सामने सरोद वादन किया , अमजद अली खान के सरोद वादन में उनके पिता की शैली इकहरी तान, गायक झाला, ख्याल को बढ़त और लयकारी आदि के दर्शन होते हैं।
खुद भी रचे कई राग
अमजद अली खान ने हिंदुस्तानी संगीत के मशहूर और मशहूर न होने वाले रागों के अलावा कई अन्य रागों भी तैयार किए , वहीं, दूसरी जगहों की धुनों को भी अपने संगीत में मिला लिया. सेनिया बीनकर घराने की शुद्धता को कायम रखते हुए अमजद अली खान ने हरिप्रिया, सुहाग भैरव, विभावकारी चन्द्रध्वनि, मंदसमीर किरण रंजनी जैसे नए रागों का सृजन भी किया।
दुनियाभर में परफॉर्मेंस दे चुके अमजद अली खान
बता दें कि अमजद अली खान ने प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी को श्रद्धांजलि के रूप में राग प्रियदर्शनी समर्पित किया था , वहीं, महात्मा गांधी की 120वीं जयंती पर ‘राग बापू कौस’ की रचना की. इसके अलावा राजीव गांधी को बतौर श्रद्धांजलि उन्होंने रा कमलश्री समर्पित किया , इसके अलावा अमजद अली खान दुनियाभर के कई म्यूजिक सेंटर्स में भी परफॉर्म कर चुके हैं , इनमें रॉयल अल्बर्ट हॉल, कैनेडी सेंटर, हाउस ऑफ कॉमन्स, फ्रैंकफर्ट का मोजार्ट हॉल सिम्फनी सेंटर, ऑस्ट्रेलिया का सेंट जेम्स पैलेस और ओपेरा हाउस आदि शामिल हैं।
ऐसी रही निजी जिंदगी
अमजद अली खान ने भरतनाट्यम नृत्यांगना शुभालक्ष्मी को अपना हमसफर बनाया. दरअसल, दोनों की पहली मुलाकात 1974 के दौरान कोलकाता में कला संगम कार्यक्रम में स्टेज परफॉर्मेंस देने के बाद एक कॉमन फ्रेंड के घर में हुई , दोनों भले ही एक-दूसरे को पसंद करने लगे, लेकिन उन्हें शादी के लिए करीब दो साल तक इंतजार करना पड़ गया , अमजद अली खान और शुभालक्ष्मी की शादी साल 1976 के दौरान हुई. उनके दो बेटे अमान अली बंगश और अयान अली बंगश हैं।
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