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    September 10, 2024

    Kanya Pujan 2023: इस शुभ मुहूर्त में करें कन्या पूजन, जानें हर आयु की कन्या का क्या होता है महत्व।

    1 min read

    Ashtami Navami Kanya Pujan 2023: कन्या पूजन के बिना नवरात्रि के व्रत अधूरे माने जाते हैं. कन्या पूजन के लिए सप्तमी, अष्टमी और नवमी तिथि को उपयुक्त माना जाता है.Shardiya Navratri 2023: नवरात्रि के अंतिम दिन कन्या पूजन का विशेष महत्व होता है. व्रत रखने वाले भक्त कन्याओं को भोजन कराने के बाद ही अपना व्रत खोलते हैं , कन्याओं को देवी मां का स्वरूप माना जाता है. मान्यता है कि इस दिन कन्याओं को भोजन कराने से घर में सुख, शांति और सम्पन्नता आती है , कन्या भोज के दौरान नौ कन्याओं का होना आवश्यक होता है , माना जाता है कि कन्याएं अगर 10 वर्ष से कम आयु की हो तो जातक को कभी धन की कमी नही होती और उसका जीवन उन्नतशील रहता है।

    ज्योतिषाचार्य डॉक्टर अनीष व्यास ने बताया कि नवरात्रि में कन्या पूजन का बहुत महत्व है , आमतौर पर नवमी को कन्याओं का पूजन करके उन्हें भोजन कराया जाता है , लेकिन कुछ श्रद्धालु अष्टमी को भी कन्या पूजन करते हैं , नवरात्रि में अष्टमी और नवमी के दिन कन्या भोजन का विधान ग्रंथों में बताया गया है , इसके पीछे भी शास्त्रों में वर्णित तथ्य यही हैं कि 2 से 10 साल तक उम्र की नौ कन्याओं को भोजन कराने से हर तरह के दोष खत्म होते हैं , कन्याओं को भोजन करवाने से पहले देवी को नैवेद्य लगाएं और भेंट करने वाली चीजें भी पहले देवी को चढ़ाएं , इसके बाद कन्या भोज और पूजन करें , कन्या भोजन न करवा पाएं तो भोजन बनाने का कच्चा सामान जैसे चावल, आटा, सब्जी और फल कन्या के घर जाकर उन्हें भेंट कर सकते हैं।

    कन्या पूजन का शुभ मुहूर्त
    अष्टमी पर पूजा का शुभ मुहूर्त सुबह 07.51 से 10.41 तक, और दोपहर 01.30- दोपहर 02.55 तक है , वहीं महानवमी का शुभ मुहूर्त सुबह 06.27 से 07.51 और दोपहर का मुहूर्त दोपहर 1.30 से 02.55 तक है।

    हर आयु की कन्या का होता है अलग महत्व
    ज्योतिषाचार्य ने बताया कि 2 साल की कन्या को कौमारी कहा जाता है , इनकी पूजा से दुख और दरिद्रता खत्म होती है , 3 साल की कन्या त्रिमूर्ति मानी जाती है , त्रिमूर्ति के पूजन से धन-धान्य का आगमन और परिवार का कल्याण होता है, 4 साल की कन्या कल्याणी मानी जाती है. इनकी पूजा से सुख-समृद्धि मिलती है , 5 साल की कन्या रोहिणी माना गया है , इनकी पूजन से रोग-मुक्ति मिलती है।

    6 साल की कन्या कालिका होती है , इनकी पूजा से विद्या और राजयोग की प्राप्ति होती है , 7 साल की कन्या को चंडिका माना जाता है , इनकी पूजा से ऐश्वर्य मिलता है , 8 साल की कन्या शांभवी होती है , इनकी पूजा से लोकप्रियता प्राप्त होती है , 9 साल की कन्या दुर्गा को दुर्गा कहा गया है , इनकी पूजा से शत्रु विजय और असाध्य कार्य सिद्ध होते हैं , 10 साल की कन्या सुभद्रा होती है , सुभद्रा के पूजन से मनोरथ पूर्ण होते हैं और सुख मिलता है।

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