मयुरी शाह ने बनाया फुलों के हार से सपनों का महल
1 min readकुछ कर दिखाने का जज्बा और अपनो का साथ अगर हो तो इन्सान के लिए असंभव कुछ भी नही, यही बात फ्लोरिया कंपनी का सफर देख पता चलती है|
मयुरी शाह
मयुरीजी अपने मैके मुंबई की बोहत याद करती है, और दिलसे धन्यवाद देती है क्योकी वहीसे उनके जिवन को एक दिशा मीली, वे बचपन से घर के सामने जो स्वामीजी का मठ था वहाॅ जाया करती थी! अपने आसपास हमेशा फुलों की मेहक उन्होंने मेहसुस की थी! फुल हार गजरा ये सब उन्होंने देखा था! और स्वामी जी के सानिध्य में उनका बचपन बिता था! स्वामीजीपर उनकी निष्ठा और श्रध्दा इतनी थी की उन्हें उनके जिवनसाथी भी गुरूमार्ग वालेही मीले है!
शादी के बाद अपना मैका छोड वे सांगली मे अपने ससुराल में सेवा करने लगी! उनका बचपन बडे ही साधारण परिस्थिती में बिता था! पीताजी के गुजरने के बाद उनकी दादी ने उन्हें पालपोसकर बडा कीया था! कडा संघर्ष और कठीण परिस्थिती का सामना करते हुए वे आगे बढती रही! आँखों में एक सपना लिए वो जिवन में कुछ कर दिखाना चाहती थी! जिस तरह उन्होंने गरीबी में दिन बिताए वे चाहती थी अब ससुराल में उन्हें अच्छा जिवन मीला है तो वो ऐसे लोगों के लिए कुछ करना चाहती है जिन्हें मदद की जरूरत हो! और वे खुद की एक अलग पेहचान भी बनाना चाहती थी!
अपने घरपरीवार में घुलमिलने के बाद उन्हे एक प्यारा बेटा हुआ जो अब डेढ साल का हो चुका है! उसके बाद उन्होंने एक छोटासा कपडे का दुकान शुरू कीया! वे बाद में काम मे व्यस्त होने लगी! बच्चे, परिवार, दुकान सबको वो पुरा समय नही दे पा रही थी! तो उन्हें मजबुरन दुकान बंद करना पडा!
कुछ दिनों बाद सांगली में उनके सद्गुरू का आगमन हुआ, उनके घर में दत्त भगवान और देवी माँ की प्रतिमा है! उन्होंने पतीसे कुछ फुल मांगकर उन्होने खुबसुरत हार और गजरा बनाकर सद्गुरू के चरणो में अर्पण कीया! ये सब देखकर सद्गुरू ने मयुरी की प्रशंसा की, उन्हें उनके पती के सामने शाबासी मीली, उन्होंने अच्छा आशिर्वाद दिया और उनके अंदर छुपी कला को प्रोत्साहीत कीया! उनकी प्रशंसा और तारीफ ने उन्हें कुछ कर दिखाने का हौसला मिला, जिवन में आगे बढने की प्रेरणा लेकर वे गुरूआज्ञा मानकर काम मे जुट गई!
उसके बाद उन्होंने गुरूआज्ञा को मानकर फुल, हार, गजरा, और अन्य फुलों के आकर्षक प्रकार वे बनाने लगी! शादी के लिए लगने वाले हार भी वे बडे आकर्षक बनाती थी! उनके पती की अच्छी पेहचान थी जिससे उन्हे काफी ऑर्डर्स मिलने लगी! कई इव्हेंटस के लिए उन्हे फुलों के अलग अलग आर्डर आने लगे! उस समय फुल कहाॅसे लाने है, कीतने पैसे लगते है उन्हे खुद पता नही था! ये सारा मॅनेजमेंट करना उनके लिए बडाही मुश्किल हो रहा था! लेकीन इस सफर उन्हें काफी लोगों का सहयोग मिला साथ मिला! राह में बडेही विश्वास के साथ मदद करने वाले मिले! उनके सद्गुरू परिवार से रत्नागीरी, रायगड, कोल्हापुर, पुणे, सांगली जैैसे अन्य शहरों से उन्हें शादी की ऑर्डर्स मिलने लगे! उस समय फुलों के हाथ कितने दिनोंतक अच्छे रह सकते है, उन्हें अन्य शहरों में ठिकानोंपर कैसे पहुॅचाना है ये सारी जानकारी उन्होंने जुटाई! उन्हें धिरे धिरे सफलता हासाील होने लगी! देखते ही देखते उनेके ऑर्डर्स बढने लगे और उनका आत्मविश्वास भी! पिछले सात आठ वर्षोमें उन्होंने काफी नाम कमाया और शादी, समारोह, बेबेशाॅवर जैसे अन्य कार्यक्रमोंके लिए उन्हें काम मिलने लगा!
एक माॅ होने के नाते उन्हे माँ होने का ऐहसास बोहत खास लगता था! उन्होंने जब भी कीसी बेबीशाॅवर प्रोग्राम का काम हाथों में लिए तो वे उसे बेहद खास बनाना चाहती थी! क्योकी वो एहसास माँ के साथ साथ पुरे परीवार के लिए बोहत खास होता है! उन्होंने मार्केट में रिर्सच किया और फुलों के आकर्षक गेहने बनाने की शुरूआत की! जिससे माँ की खुबसूरती में चार चांद लगने लगे! उस समय भी उन्हें काफी लोगोंने मार्गदर्शन दिया और सलाह भी दी! नए विचारों को कल्पनाओंको उन्होंने साकार करने का सफल प्रयास कीया!
आज उन्हें खुशी है जिन सद्गुरू के आशीर्वाद से उन्होंने सपना देखा था वो सपना आज पुरा हो चुका है, और सफलता की उॅचाईयाॅ हासील कर रही है! महाराष्ट्र के साथ साथ मध्यप्रदेश, उत्तरप्रदेश, गुजरात जैसे अन्य राज्यों में उनके प्राॅडक्ट पहुॅंच रहे है, और उनके काम की प्रशांसा करते हुए उनकी डिमांड बढतीही जा रही है! प्रतीदीन 18 से 20 घंटोंतक वे काम करती है! साथही वे एक माँ, पत्नी, बहु ये सारी जिम्मेंदारीयाॅ अच्छेसे संभाल रही है! उन्हे इस सफर में सबसे ज्यादा साथ मिली उनके पती औरे बेटे की जो हरपल उनके साथ डटकर खडे थे!
आज उन्हें खुशी है की वे बिझनेस में जो मुनाफा कामते है उसमें से 50 प्रतीशत मुनाफा अनाथाश्रम, निवारा केंद्र, दिव्यांग केंद्र और स्कुल के बच्चों के लिए वे खर्च करती है! निराधार लोंगो का आधार बनकर उन्हें सहयोग देना उन्होंने कभी छोडा नही! उनके चेहरेपर खिलनेवाली खुशी उन्हें खिलते हुए मुस्कुराते हुए फुलेां का एहसास दिलाती है! सद्गुरू से वे केवल एकही प्रार्थना करती है, की उन्हें उनके काम में बल मिलता रहे और उन्हें अन्य कई लोंगों का सहारा बनने का मौका मिले!
एक छोटेसे हार या गजरे से शुरू कीया गया सफर आज सफलता की उॅचाईयोंपर पहुॅंच चुका है! उन्होंने जि जानसे मेहनत की लगन से काम कीया जिसका फल उन्हें रिसील डाॅट इन की तरफ से मिलने वाले पुरस्कार के रूप मे मिला है! जिससे वे गौरवान्वीत मेहसुस करती है!उन्हें खुशी है कीसी भी महीला के जिवन में शादी, बेबीशाॅअर, नामकरण, जैसे अन्य उत्सव मनाये जाते है, औरे वे उस खुशी का एक हिस्सा बन जाती है! इस बात का उन्हें बडा ही गर्व मेहसूस होता है! आज उनकी कंपनी फ्लोरिया क्रिएशन के नाम से मशहुर हो चुकी है! वे आकर्षक और खुबसुरत जेवरात बनाती है! और महिलाओं को फुलोंसे सजाती है! वे अपने जैसी कई महिलाओं को प्रेरीत करती है! यदी आप अपना घर छोडकर कही बाहर नही जा सकती है तो अपने अंदर छुपी कलाकारी को ढुंडकर घरबैठे भी वो बोहतकुछ कर सकती है! भगवान ने महिलाओं को अधिक शक्ती प्रदान की है! जीसके सहारे वे कीसी भी मुश्किल हालात में खुद को आगे ले जा सकती है! और खुद की एक खास पेहचान बना सकती है! आज रिसील डाॅट इन कंपनी को उनपर नाज है और उन्हें आनेवाले खुबसुरत भविष्य के लिए ढेरसारी शुभकामनाए देते है!
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